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गौरैला-पेंड्रा-मरवाही में फर्जी तरीके से चल रहे कंप्यूटर सेंटरों की भरमार, जाँच की उठी मांग…?

गौरैला-पेंड्रा-मरवाही में फर्जी तरीके से चल रहे कंप्यूटर सेंटरों की भरमार, जाँच की उठी मांग…?

गौरैला-पेंड्रा-मरवाही। जिले में फर्जी तरीके से संचालित कंप्यूटर सेंटरों की भरमार हो गई है। बिना मान्यता, बिना प्रशिक्षित स्टाफ और बिना लैब की सुविधा के नाम पर सेंटर संचालक बेरोजगार युवाओं से हजारों रुपये की वसूली कर रहे हैं। हालात यह हैं कि गांव-गांव में, बस स्टैंड और बाजार चौक के आसपास छोटे कमरे में कंप्यूटर सेंटर का बोर्ड लगाकर संचालक फर्जी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट बांट रहे हैं।

बिना मान्यता, बिना पंजीयन के हो रहा संचालन…?

जांच में सामने आया है कि अधिकांश कंप्यूटर सेंटर किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड या संस्था से पंजीकृत नहीं हैं। कई सेंटर फर्जी पंजीयन दिखाकर छात्रों को सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं, जिनका भविष्य में कोई उपयोग नहीं होता। छात्रों को डीसीए, पीजीडीसीए, टैली आदि कोर्स के नाम पर 5 हजार से 15 हजार रुपये तक की वसूली कर ली जाती है, लेकिन सिलेबस, परीक्षा और प्रमाण पत्र की प्रक्रिया पूरी तरह फर्जी रहती है।

बेरोजगार युवाओं का भविष्य संकट में...?

इन फर्जी सेंटरों से सर्टिफिकेट लेकर छात्र रोजगार पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मान्यता नहीं होने के कारण वे नौकरी से वंचित रह जाते हैं। इसके चलते युवाओं का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है।

*प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध, मांग उठी कार्रवाई की…?*

जिले में कई बार शिकायतें होने के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की गई है कि ऐसे फर्जी सेंटरों पर तत्काल छापेमारी कर जांच कराई जाए और दोषी संचालकों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही इन सेंटरों से जुड़े फर्जी सर्टिफिकेट को निरस्त किया जाए ताकि भविष्य में युवाओं के साथ धोखाधड़ी न हो।

किस प्रकार होती है ठगी

बिना परीक्षा लिए सर्टिफिकेट दे देना।

फर्जी संस्थाओं के नाम से रजिस्ट्रेशन दिखाकर पैसे लेना।

एक ही कंप्यूटर पर दर्जनों छात्रों को बैच बनाकर दिखाना।

परीक्षाओं में कॉपी कराना या बिना परीक्षा के नंबर दे देना कई जगह पुराने या खराब कंप्यूटर दिखाकर प्रैक्टिकल क्लास का नाम भर देना।

*क्या कहता है नियम…?*

किसी भी कंप्यूटर सेंटर को संचालित करने के लिए संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य है।

प्रशिक्षित स्टाफ, उचित लैब, न्यूनतम कंप्यूटर, फर्नीचर, बिजली और इंटरनेट की सुविधा का होना आवश्यक है।

छात्रों को सिलेबस के अनुरूप नियमित कक्षाएं और परीक्षा लेकर ही सर्टिफिकेट देना होता है।

1️⃣ जिला प्रशासन द्वारा तत्काल विशेष टीम बनाकर फर्जी सेंटरों पर जांच कराई जाए।
2️⃣ मान्यता और पंजीयन की जांच कर तुरंत फर्जी सेंटरों को सील किया जाए।
3️⃣ छात्रों से ठगे गए पैसे वापस दिलवाने की व्यवस्था की जाए।
4️⃣ फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने वाले संचालकों पर एफआईआर कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

यदि प्रशासन तत्काल कार्रवाई नहीं करता है तो जिले के हजारों बेरोजगार युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता रहेगा।

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