शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से नौनिहालों का भविष्य संकट में, नियमों की गई खुलेआम अनदेखी

शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से नौनिहालों का भविष्य संकट में, नियमों की गई खुलेआम अनदेखी
पेण्ड्रा:- युक्तियुक्तकरण के तहत एक परिसर में स्थित स्कूलों को आपस में मर्ज करने के मामले में बड़ी लापरवाही और मनमानी सामने आई है। एक ही परिसर में स्थित प्रायमरी स्कूल को मिडिल स्कूल में मर्ज करना छोड़कर डेढ़ किलोमीटर दूर के प्रायमरी स्कूल को मिडिल स्कूल में मर्ज करने का आदेश जारी हुआ है और उसी परिसर में स्थित प्रायमरी स्कूल को यथावत रखा गया है। अधिकारियों के इस घोर लापरवाही के कारण मर्ज हुए प्रायमरी स्कूल के छोटे छोटे बच्चों का डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल जाना मुश्किल है, वहीं दूर के स्कूल में मर्ज किए जाने के बाद उक्त प्रायमरी स्कूल में नई शिक्षा नीति के तहत संचालित बालवाड़ी का संचालन भी बंद हो जाएगा, क्योंकि बालवाड़ी योजना वहीं संचालित हैं, जहां एक परिसर में प्रायमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र होते हैं। वहीं 39 बच्चों की दर्ज संख्या वाले उक्त स्कूल को मर्ज करने के बाद वहां 1+1 के नियम का उल्लंघन करके एक सहायक शिक्षिका की पदस्थापना कर दी गई, जिससे उसमें दो सहायक शिक्षक हो गए, जबकि 60 तक की दर्ज संख्या में वहां प्रधान पाठक के रिक्त पद पर पदस्थापना की जानी चाहिए थी।
उक्त मामला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले के पेण्ड्रा विकासखंड का है। इस विकासखंड के ग्राम पंचायत कंचनडीह में एक ही परिसर में प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (यू डाइस कोड 22072200401) बच्चों की दर्ज संख्या 32 और मिडिल स्कूल उरांवपारा कंचनडीह (यू डाइस कोड 22072200403) दर्ज संख्या 31 संचालित है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे युक्तियुक्तकरण के तहत एक ही परिसर में संचालित होने के कारण प्रायमरी स्कूल कंचनडीह को मिडिल स्कूल उरांवपारा कंचनडीह में मर्ज किया जाना था।
लेकिन शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी के कारण मिडिल स्कूल परिसर से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित प्रायमरी स्कूल उरांवपारा कंचनडीह (यू डाइस कोड 22072200402) को मिडिल स्कूल उरांवपारा कंचनडीह में मर्ज कर दिया गया। इस मामले को शिक्षा अधिकारियों के घोर लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि डेढ़ किलोमीटर दूर के नौनिहाल बच्चों के भविष्य को लेकर शासन प्रशासन क्या कदम उठाती है।
लोक शिक्षण संचालनालय नया रायपुर से यह जारी हुआ है आदेश:-
लोक शिक्षण संचालनालय नया रायपुर ने आदेश क्रमांक/83/2025/435/ दिनांक 27 मई 2025 को समायोजित किए गए स्कूलों की सूची सहित आदेश जारी किया है, जिसमें उल्लेखित किया गया है कि समस्त जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिलों में छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर के 27 मई 2025 को शालाओं के युक्तियुक्तकरण के आदेश पर आवश्यक कार्यवाही करें। उक्त आदेश के साथ संलग्न सूची में विकासखंड पेण्ड्रा के प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (उरांवपारा यू डाइस कोड 22072200402) को मिडिल स्कूल उरांवपारा कंचनडीह में समायोजित करने का आदेश है।
*आवेदन देने के बावजूद नहीं लिया गया संज्ञान:-*
बता दें कि मिडिल स्कूल कंचनडीह में वहां से डेढ़ किलोमीटर दूरी के प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (उरांवपारा) को मर्ज नहीं किए जाने के संबंध में उक्त स्कूल के प्रभारी प्रधान पाठक ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को आवेदन पत्र दिया था, लेकिन उस आवेदन पर किसी भी प्रकार से कोई गौर नहीं किया गया। यदि आवेदन पर गौर किया जाता तो इतनी बड़ी लापरवाही से बचा जा सकता था।
*अधिकारियों की लापरवाही से बालवाड़ी होगा बंद*
उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के तहत जहां एक परिसर में प्रायमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, बालवाड़ी का संचालन किया जा रहा है। प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (उरांवपारा) के परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र होने से बालवाड़ी भी संचालित है, जहां 4 बच्चे नर्सरी की तरह शिक्षा प्राप्त कर लाभान्वित हो रहे हैं। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब बालवाड़ी भी बंद हो जाएगा।
*शासन के 1+1 के नियम का उल्लंघन करके की गई सहायक शिक्षक की पदस्थापना*
मिडिल स्कूल उरांवपारा कंचनडीह में मर्ज किए गए 39 बच्चों की दर्ज संख्या वाले प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (उरांवपारा) के प्रधान पाठक दुर्गा प्रसाद मराबी फरवरी माह में रिटायर हो गए थे। उसके बाद वहां प्रधान पाठक का पद रिक्त है, जबकि एक सहायक शिक्षक राज कुमारी बैगा पदस्थ है। युक्तियुक्तकरण के नियम के अनुसार 60 तक की दर्ज संख्या वाले प्रायमरी स्कूल में एक प्रधान पाठक और एक सहायक शिक्षक (1+1) पदस्थ रहेंगे। इस हिसाब से वहां प्रधान पाठक की पदस्थापना की जानी चाहिए थी। लेकिन शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण युक्तियुक्तकरण में वहां एक और सहायक शिक्षक की ही पदस्थापना करके 1+1 के नियम का उल्लंघन किया गया है।
दावा आपत्ति का समय नहीं देने से सामने आ रही गड़बड़ियां
बता दें कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में यदि दावा आपत्ति का समय दिया जाता तो ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सकता था। परन्तु तानाशाही अपनाकर दावा आपत्ति का मौलिक अधिकार को भी छीन लिया गया और जमकर प्रशासनिक मनमानी की गई।
शासन प्रशासन को इस लापरवाही पर करनी चाहिए कार्यवाही:-
शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से डेढ़ किलोमीटर दूर के स्कूल के बंद होने का विपरीत प्रभाव वहां पढ़ने वाले नौनिहाल बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा। इसलिए शासन प्रशासन को पहल करके इस गलती को सुधारना चाहिए।और जो भी दोषी हों उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। प्रायमरी स्कूल कंचनडीह (उरांवपारा) को गलत ढंग से मर्ज कर दिया गया है, उसे वापस पुरानी स्थिति में लाया जाएगा, तो ही बच्चों के हित में रहेगा।
शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया है कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जो काउंसलिंग कमेटी बनाई गई थी उनके सदस्यों के अलावा अन्य लोग भी अंदर ही बैठे हुए थे जिससे भी काउंसलिंग कमेटी पर सवाल उठ रहे हैं।