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मनरेगा में फर्जीवाड़ा: बिना मजदूरी मस्टर रोल के सामग्री का लाखों का भुगतान

कोरबा, छत्तीसगढ़ — ग्राम पंचायत बड़मार, जनपद पंचायत करतला, जिला कोरबा में मनरेगा योजना के तहत एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें नियमों का उल्लंघन कर बिना मजदूरी मस्टर रोल के सामग्री भुगतान किए जाने की बात उजागर हुई है। प्रशासकीय स्वीकृति क्रमांक 3692/ASA दिनांक 01/12/2022 के तहत, कुदरीखार रोड पर 121 मीटर रिटेनिंग वॉल निर्माण कार्य की मंजूरी दी गई थी। इस कार्य में मजदूरी राशि कुल ₹3,00,008 और सामग्री राशि का भुगतान ₹15,93,180 किया गया, लेकिन प्रक्रिया की गंभीर खामियों ने इस परियोजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं।मस्टर रोल का मुद्दा: श्रमिकों के बिना ही हो गया भुगतान 16/12/2022 को जारी पहले मस्टर रोल में ₹408 का भुगतान दर्शाया गया, जो 17/12/2022 तक चला। इसके बाद मस्टर रोल सीधे 24/07/2023 को जारी हुआ, जो 29/07/2023 तक चला। आखिरी मस्टर रोल 13/06/2024 से 18/06/2024 तक था। हैरानी की बात यह है कि मध्य में कोई मस्टर रोल नहीं होने के बावजूद, सामग्री का भुगतान भारी मात्रा में कर दिया गया। मस्टर रोल की अनुपस्थिति में, कार्य की वास्तविकता पर संदेह होना स्वाभाविक है, क्योंकि बिना श्रमिकों के कार्य संपन्न होना संभव नहीं।भुगतान की तारीखें और राशि की विसंगतियां

इस मामले में सामग्री भुगतान की तारीखें और राशि निम्नलिखित हैं:

12/12/2022 को “अदर मटेरियल” के नाम से ₹1,98,000 का भुगतान।  13/12/2022 को “अदर मटेरियल” के नाम से ₹1,60,640 और पुनः ₹1,42,500 का भुगतान। 5/03/2023 को “ईंट” के नाम से ₹1,97,200 का भुगतान।10/07/2023 को अंतिम भुगतान के रूप में ₹1,01,800 का भुगतान।

कुल मिलाकर ₹15,93,180 का भुगतान सामग्री पर किया गया, जो मजदूरी मस्टर रोल के बिना ही हो गया

नियमों का उल्लंघन: एक गंभीर अपराध :-                      महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत, मस्टर रोल का सत्यापन अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रमिकों को उचित और समय पर भुगतान हो। इसके विपरीत, इस मामले में मनरेगा की धारा 13 का उल्लंघन हुआ है, जिसमें प्रत्येक भुगतान से पहले मस्टर रोल के माध्यम से श्रमिकों के कार्य प्रमाणित किए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा, मज़दूरी और सामग्री भुगतान का संतुलन बनाए रखना भी अनिवार्य है ताकि कार्य पारदर्शिता बनी रहे।

निगरानी की कमी या मिलीभगत :-

 इस कार्य में सामग्री का भुगतान, बिना श्रमिकों के कार्य किए, भ्रष्टाचार का संकेत देता है। कार्यक्रम अधिकारी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत करतला पर गंभीर आरोप लगते हैं कि उनके द्वारा इस कार्य में मिलीभगत की गई और बिना सत्यापन के भुगतान कर दिया गया। यह मामला न केवल परियोजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं में किस प्रकार से नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

प्रशासन से मांग :-

 इस प्रकरण की जाँच करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए और इस प्रकार के भ्रष्टाचार की पुनरावृत्ति न हो। अगले अंक में कोरबा जिले के सभी जनपदों में इसी प्रकार के भ्रष्टाचारों का होगा उजागर…

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