नगर निगम में इंजीनियरों की संविदा नियुक्ति पर भाजपा दो खेमों में बंटी, सभापति ने मेयर पर लगाए लेन-देन के गंभीर आरोप, गरमाई सियासत

नगर निगम में इंजीनियरों की संविदा नियुक्ति पर भाजपा दो खेमों में बंटी, सभापति ने मेयर पर लगाए लेन-देन के गंभीर आरोप, गरमाई सियासत
बिलासपुर:-शहर की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है, इस बार वजह है नगर निगम के दो रिटायर्ड इंजीनियरों को संविदा नियुक्ति (एक्सटेंशन) देने की प्रक्रिया, जिसने भाजपा शासित बिलासपुर नगर निगम को अंदरूनी घमासान का अखाड़ा बना दिया है। महापौर पूजा विधानी के नेतृत्व वाली नगर सरकार में यह अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल मानी जा रही है, जिसमें खुद भाजपा के ही तेज़तर्रार सभापति विनोद सोनी ने मेयर पर सीधेतौर पर लेन-देन का सनसनीखेज आरोप लगाकर सियासी हलकों में भूचाल ला दिया है।
एमआईसी बैठक बनी अखाड़ा, सभापति का फूटा गुस्सा
मंगलवार को महापौर की मौजूदगी में आयोजित मेयर इन काउंसिल (MIC) की बैठक में जैसे ही भवन शाखा के प्रभारी इंजीनियर सुरेश शर्मा और विद्युत शाखा के प्रभारी इंजीनियर सुब्रत कर की संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव आया, वैसे ही सभापति विनोद सोनी का पारा चढ़ गया। बैठक के दौरान उन्होंने न सिर्फ इस प्रस्ताव का विरोध किया, बल्कि मेयर पर सीधे-सीधे लेन-देन का आरोप लगाकर सभी को चौंका दिया।
भाजपा में भीतरघात, दो फाड़ की स्थिति साफ
सभापति के इस आरोप ने नगर निगम की राजनीति को पूरी तरह दो हिस्सों में बांट दिया है। एक ओर मेयर का खेमा है, जो एक्सटेंशन को प्रशासनिक आवश्यकता बता रहा है, तो दूसरी ओर सभापति का पक्ष है, जो इसे “नियोजन में घोटाले” के रूप में देख रहा है। भाजपा पार्षदों के बीच आपसी खींचतान अब खुलकर सामने आ चुकी है, जो आने वाले दिनों में पार्टी की नगर इकाई के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है।
इतिहास रचने के बाद विवादों में घिरीं पूजा विधानी
महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बनकर उभरीं महापौर पूजा विधानी ने बिलासपुर नगर निगम में दूसरी महिला मेयर बनने का गौरव हासिल किया। लेकिन कुर्सी संभालने के कुछ ही महीनों में वे विवादों में उलझती जा रही हैं। पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में खुलेआम जातिगत टिप्पणियों और हस्तक्षेप को लेकर सुर्खियों में रहीं और अब इंजीनियरों के एक्सटेंशन को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों में।
नगर निगम का इतिहास गवाह—गुटबाजी रही पुरानी परंपरा
बिलासपुर नगर निगम में गुटीय राजनीति कोई नई बात नहीं है। चाहे उमाशंकर जायसवाल का दौर रहा हो या वाणीराव की सत्ता—भीतरी कलह और खेमेबंदी हमेशा रही है। परन्तु इस बार सत्ताधारी दल भाजपा के भीतर ही विभाजन की लकीर इतनी जल्दी और इतनी तीखी खिंचेगी, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।
पब्लिक डोमेन में उठा सवाल—क्या भाजपा की छवि पर लगेगा दाग?
सभापति के आरोपों ने न सिर्फ नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भाजपा की कथित “जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन” नीति को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। जनता के बीच चर्चा जोरों पर है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो भाजपा को आने वाले निकाय चुनावों में इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
राजनीति के रंग अभी और गहराएंगे
नगर निगम में मेयर और सभापति के बीच खींचतान की यह लड़ाई यहीं थमती नहीं दिख रही। जानकारों का मानना है कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और अब उभरे भ्रष्टाचार के आरोप आने वाले दिनों में और भी चौंकाने वाले मोड़ ला सकते हैं। सवाल यह भी है—क्या मेयर पूजा विधानी इन आरोपों से खुद को बेदाग साबित कर पाएंगी? या यह विवाद उनकी राजनीतिक यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगा?