डीईओ का “पदस्थापना खेला”: नियमों को ताक पर रखकर पत्नी की नियुक्ति, शिक्षक संघों में आक्रोश

डीईओ का “पदस्थापना खेला”: नियमों को ताक पर रखकर पत्नी की नियुक्ति, शिक्षक संघों में आक्रोश
सारंगढ़, रायगढ़:- छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति केवल राज्य शासन के प्रतिनियुक्ति आदेश से ही की जा सकती है। लेकिन रायगढ़ जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) श्री पटेल द्वारा इस नियम का खुलेआम उल्लंघन करते हुए अपनी पत्नी सुषमा पटेल को मनमाने ढंग से पदस्थ कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त संस्था में केवल दो शिक्षक पद स्वीकृत हैं और दोनों पर राज्य शासन द्वारा पहले से प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक कार्यरत हैं। इसके बावजूद डीईओ द्वारा अपनी पत्नी को नियुक्त कर दिया गया, जिससे न केवल नियमों की अवहेलना हुई बल्कि पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए नियमों की अनदेखी
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो स्वामी आत्मानंद विद्यालय में अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम की कक्षाएं प्राचार्य सेजेस सारंगढ़ द्वारा सुव्यवस्थित रूप से संचालित की जा रही थीं। वहीं डीईओ ने छात्र संख्या का हवाला देकर अतिरिक्त शिक्षक की आवश्यकता का तर्क देकर अपनी पत्नी की पदस्थापना करवाई। यह निर्णय इसलिए भी संदिग्ध माना जा रहा है क्योंकि उसी विद्यालय की संविदा शिक्षिका मोनिका राठौर को छात्रवृत्ति कार्यों के नाम पर डीईओ कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है, जिससे यह साबित होता है कि विद्यालय में शिक्षक पर्याप्त हैं।
दूरी भी बनी बहानेबाज़ी का आधार
उक्त विद्यालय, डीईओ कार्यालय से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे यह संदेह और गहरा जाता है कि श्री पटेल ने सुविधा अनुसार अपनी पत्नी की पदस्थापना करवाई है। जिले में कई ऐसे विद्यालय हैं जहां शिक्षकों की भारी कमी है और निकट भविष्य में सेवानिवृत्त शिक्षक भी हैं, लेकिन उन्हें दरकिनार कर यह निर्णय लिया गया।
निलंबन के बाद बहाली और फिर मनमानी पदस्थापना
सूत्रों के अनुसार सुषमा पटेल पूर्व में निलंबित थीं। बहाली के बाद उन्हें पहले से ही भरे हुए विद्यालय (कन्या पूर्व माध्यमिक शाला, सारंगढ़) में पदस्थ किया गया, जहां सात शिक्षक कार्यरत थे। वहां से हटाकर उन्हें मूल शाला कुटेला भेजा गया था। बावजूद इसके, डीईओ ने पुनः नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें आत्मानंद विद्यालय में पदस्थ कर दिया।
‘ग्रीष्मकालीन बहाली’ बना नया खेल
शिक्षक संघों का आरोप है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के ठीक पहले शिक्षकों की बहाली जानबूझकर करवाई जा रही है ताकि घर बैठे पूरा वेतन लिया जा सके। साथ ही, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से पहले गंभीर मामलों में निलंबित शिक्षकों की बहाली कर उन्हें मनचाही जगह पदस्थ किया जा रहा है। इससे यह आशंका गहराती है कि पूरे मामले में लेन-देन का खेल हो रहा है।
शिक्षक संघों की मांग – हो निष्पक्ष जांच और कार्रवाई
शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि इस तरह के मामलों में डीईओ स्तर के अधिकारियों पर सख्त विभागीय जांच और निलंबन की कार्यवाही हो। साथ ही युक्तियुक्तकरण की पवित्र प्रक्रिया को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे अधिकारियों को इससे बाहर रखा जाये