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छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति का घोटाला,

छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति का घोटाला,

EOW का जल्द कसने वाला है अफसरों पर शिकंजा,

कई पुरानी फैल खोलने की तैयारी,मंगाई गई दस्तावेज

हो सकती है कई अवसरों पर बड़ी कार्रवाई

बिलासपुर/छत्तीसगढ़ के विलासपुर के शिक्षा विभाग में फ़र्ज़ी वाड़ा तेजी से फल फूल रहा है, बता दें की शिक्षा विभाग में हुए अनुकंपा नियुक्ति घोटाले मामले में EOW का शिकंजा तेजी से कसने वाला है,जहाँ EOW ने इस मामले में अब जिला शिक्षा अधिकारी से दस्तावेज तलब किये हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में EOW बड़ा एक्शन ले सकता है। दरअसल कोरोना काल में दिवंगत शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने के मामले में बड़ा गोलमाल हुआ था। हालांकि खुलासे के बाद कई सारे मामले पर FIR हुई,साथ ही कई मामलों को बर्खास्त किया गया। लेकिन अब इस मामले में EOW की इंट्री से बड़े अफसरों का भी नपना भी तय है। शिक्षा विभाग में हुए अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की जांच राज्य सरकार की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने शुरू कर दी है।


कोरोना काल में अनुकंपा नियुक्ति में हुआ था इतना बड़ा खेल

दरअसल कोरोना काल में बड़ी संख्या में शिक्षक भी दिवंगत हुए थे। शासकीय नियम के तहत उन दिवंगत शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जानी थी। लेकिन बड़ी संख्या में काल कालवित हुए शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने में बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार किया गया। नियम कायदों को ठेंगा दिखाते हुए, अनुकंपा नियुक्ति दे दी। जब मामले में गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े हुए तो जांच शुरू हुई, जिसके बाद विभागीय जांच में पाया गया कि प्रभारी डीईओ दासरथी और लिपिक विकास तिवारी ने सांठगांठ कर अपात्र लोगों को नौकरी दे दी है। जांच के बाद 12 में से 11 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया, सिर्फ एक की नियुक्ति में गड़बड़ी नहीं मिली।

नियमों किया गया दरकिनार…… क्यों

जिस प्रकार, क्षेत्र में अनुकंपा नियुक्ति के लिए को शासन की नीति का पालन करना जरूरी थी, लेकिन नियमों को दरकिनार कर दिया गया दरअसल मसलन अनुकंपा नियुक्ति में प्रावधान किया गया था कि संबंधित आवेदक के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पी. दासरथी ने ऐसे 12 कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर कर दी, जो मृतक कर्मचारी के नजदीकी संबंधी नहीं थे या उसके परिवार का कोई अन्य सदस्य सरकारी नौकरी में पहले से ही था,अनुकंपा नियुक्ति में गड़बड़ी करने के उद्देश्य से ही अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का तेजी से निपटारा किया गया, ताकि भ्रष्टाचार किया जा सके।

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