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बेलगहना चौकी मे मनाया जन जागरूकता कर्यक्रम, लोगो को दी नये क़ानून कि जानकारी

बेलगहना चौकी मे मनाया जन जागरूकता कर्यक्रम, लोगो को दी नये क़ानून कि जानकारी

बिलासपुर बेलगहना से जीसान अंसारी की खास रिपोर्ट

बेलगहना /आज एक जुलाई 2024 को भारतीयनागरिक सुरक्षा सहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 देश मे लागु हो रहा है नये क़ानून जागरूकता को लोगो तक पहुंचाने के लिये आज बेलगहना चौकी परिसर मे जागरूकता कर्यक्रम रखा गया चौकी प्रभारी हरीश टांडेकर एवं स्टाप, न्याब तहसीलदार,छेत्रीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, महिला शक्ति, पत्रकारो कि उपस्थिति मे आयोजन रखा गया देश मे नय क़ानूनअपराध पर कसेगी लगाम, 1 जुलाई से देश में नए कानून लागू हो गया . तीनों नए कानून वर्तमान में भारतीय दंड संहिता, आपराध‍िक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले रहे हैं. इन कानूनों के नाम हैं, – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए). ऐसे में आइए जानते हैं

इन कानूनों से क्या बदलाव देखने को मिलने वाले है

नए कानूनों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी. नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है. राजद्रोह अब अपराध नहीं माना जाएगा. नए कानून में मॉब लिंचिंग के दोषियों को भी सजा दिलाने का प्रावधान किया गया है. इसमें कहा गया है कि जब 5 या उससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिलेगी.

अपराध पर कसेगी लगाम

देश में लागू हो रहे 3 नए कानून, जानिए कितना दिखेगा बदलाव

बीएनएस 163 साल पुराने आईपीसी की जगह लेने वाला है. इसमें सेक्शन 4 के तरह सजा के तौर पर दोषी को सामाजिक सेवा करनी पड़ेगी. अगर किसी ने शादी का धोखा देकर यौन संबंध बनाए तो उसे 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. नौकरी या अपनी पहचान छिपाकर शादी के लिए धोखा देने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. अब संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, गाड़ी की चोरी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर-क्राइम के लिए कड़ी सजा दी जाएगी.

नए कानून, से कितना दिखेगा बदलाव

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कामों पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. बीएनएस आतंकवादी कृत्य को ऐसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित करता है जो लोगों के बीच आतंक पैदा करने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालती है. नए कानून में मॉब लिचिंग पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. मॉब लिचिंग में शामिल व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा के साथ-साथ जुर्माने की सजा मिल सकती है.
बीएनएसएस 1973 के सीआरपीसी की जगह लेगा. इसके जरिए प्रक्रियात्मक कानून में महत्वपूर्ण बदलाव होने वाला है. इसमें एक अहम प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए है. अगर किसी को पहली बार अपराधी माना गया तो वह अपने अपराध की अधिकतम सजा का एक तिहाई पूरा करने के बाद जमानत हासिल कर सकता है. इसकी वजह से विचाराधीन कैदियों के लिए तुरंत जमानत पाना मुश्किल हो गया है. हालांकि, ये आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों पर लागू नहीं होता
बीएनएसएस में कम से कम सात साल की कैद की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अब अनिवार्य हो जाएगी. फोरेंसिक एक्सपर्ट्स को अपराध वाली जगह से सबूतों को इकट्ठा और रिकॉर्ड करना होगा. अगर किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा का अभाव है तो वह दूसरे राज्य में इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकता है. न्यायालयों की व्यवस्था का भी जिक्र किया गया है और बताया गया है कि किस तरह सबसे पहले केस मजिस्ट्रेज कोर्ट में जाएगा और फिर सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा.

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