
दर्जनो के आरोप से घिरे कर्मी को प्रभारी रेंजर खोडरी तो वयारलेश आपरेटर को स्टेनो का प्रभार आदेश पर प्रश्न चिन्ह…? गौरेला पेंड्रा मरवाही : विवादित भ्रष्ट वायरलेश आपरेटर एवं जूनियर डिप्टी रेंजर को प्रमुख जगह का नियम विरुद्ध प्रभार देना कही न कही कमीशन का खेल तो नही…? PCCF एवं प्रयादर्शी समिति के बैठक में लिए निर्णय के आदेश को दरकिनार कर अपने चाहेतो को दिया प्रभार जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही मामला मरवाही वनमण्डल का है जहाँ पर भ्रष्ट सिस्टम और भ्रष्टाचार का आलम अभी समाप्त नही हुआ है यह वनमंडल छतीसगढ़ में अधिकारियो एवम कर्मचारीओ का चारा
ग़ाह बन चुका है इस वनमंडल में सभी नियमो कायदों को ताक में रख आदेश किया जाता है वनमण्डल में एक चमत्कारिक कर्मचारी है पुरसोत्तम कश्यप जो मूल पद इसका वायरलेश आपरेटर है पर पिछले 14 वर्षों से स्टेनो के पद पर काबिज है जिसे गिनीज बुक में नाम अंकित कराने से कम नही कहा जाता है कि यह अजूबा कर्मचारी के वास जादू की छड़ी है जिसके सामने एक से एक IFS नसमस्तक रहे शिकयत हो या विरोध हो कभी कार्यवाही नही कर सके यह कर्मचारी के ऊपर वनमण्डल
के अंतर्गत कौन कर्मचारी को कहा पोस्टिंग करना है और कितनी राशि लेना है तय करता इसके सह पर वनमण्डल में कर्मचारीओ की पोस्टिंग होती है जिसने अपने अवैध कमाई से टिकर कला बांधा मुडा में लगभग 1 करोड़ की जमीन लेकर 1 करोड़ का आलीशान मकान बना जिले का ही निवासी बन गया है जबकि यह कर्मचारी एक दैनिक बेतन भोगी के रूप में आया था और इतने कम समय मे करोड़ो की सम्पत्ति अर्जित कर एक नया कीर्तिमान हासिल कर दिखाया है बताया जाता है कि पूर्व व वर्तामान DFO इसके इसारे से काम करते है इसी प्रकार एक जूनियर विवादित भ्रष्ट डिप्टी रेंजर मनीष श्रेवास्तव को PCF के आदेश में स्पस्ट लिखा है कि कोई भी पोस्टिंग CCF/DFO को नही करना है पर अपने ही उच्य अधिकारी के आदेश को दर किनार कर मनीष श्रीवास्तव को प्रभारी खोडरी रेंजर बना CCF और DFO मरवाही ने सिस्टम को चलेंज किया है इसकी शिकायत EOW एव उच्य वनमंत्री से किया गया ! देखना होगा इन कमीशन सिस्टम के अधिकारीयों और कर्मचारियों पर क्या कार्रवाही होती है या मामला को ठंठे बास्ते में डाल दिया जाएगा।