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BEO मतावले पर गिरी गाज: नियमों की अवहेलना कर शिक्षकों की सूची में हेराफेरी

BEO मतावले पर गिरी गाज: नियमों की अवहेलना कर शिक्षकों की सूची में हेराफेरी

रायपुर। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में लापरवाही बरतने वाले छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के एक और बीईओ को निलंबन की सजा मिली है। अतिशेष शिक्षकों की सूची बनाने के साथ ही विषयवार शिक्षकों की गिनती करने और सूची बनाने में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। जिस स्कूल में वाणिज्य संकाय की पढ़ाई हो रही है, विषय ना होने की जानकारी देते हुए वाणिज्य के शिक्षक को अतिशेष की सूची में डाल दिया और स्कूल से बाहर दूसरे स्कूल में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया। आपत्ति के बाद जब जानकारी मंगाई गई तब बीईओ की गंभीर लापरवाही सामने आई। बीईओ पर आरोप है कि कम दूरी के स्कूलों को अधिक दूरी में संचालित होने और दूर के स्कूलों को पास में संचालित होने की जानकारी देने पूरी प्रक्रिया को विवाद में डालने का काम किया है।

बीईओ कार्यालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों का परवाह ही नहीं किया है। तय डेडलाइन के अनुसार 20 मई 2025 तक अतिशेष शिक्षकों एवं रिक्त पदों की सूची जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत किया जाना था। बीईओ कार्यालय द्वारा 10 दिन विलंब से 30 मई 2025 को प्रस्तुत किया गया। जिला स्तरीय समिति ने जब सूची का परीक्षण किया तो गड़बड़ी ही गड़बड़ी नजर आई। शिक्षकों के वरिष्ठता क्रम में बड़ी गफलत की थी। वरिष्ठता को छिपाते हुए वरिष्ठ शिक्षकों को अतिशेष की सूची में शामिल कर लिया गया। यही नहीं काउंसलिंग में बुलाने के बाद दूसरे स्कूल के लिए पदस्थापना आदेश भी जारी कर दिया। बीईओ कार्यालय से जारी सूची में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत नियमित लेक्चरर और गेस्ट टीचर की गिनती करते समय कार्यरत संस्था का उल्लेख ही नहीं किया गया।

वरिष्ठता क्रम में घालमेल-

प्राथमिक शाला टिकरापारा रानीपरतेवा तथा प्राथमिक शाला सतनामीपारा रानीपरतेवा का एक दूसरे में मर्जहोने के कारण कुंज दीवान, प्रधानपाठक एवं राधिका साहू, प्रधानपाठक के बीच कनिष्ठ अतिशेष की गणना की जानी थी। हेड मास्टर कुंज दीवान को कनिष्ठ बताते हुए नाम अतिशेष की सूची में रख दिया। कुंज दीवान ने जिला स्तरीय समिति के समक्ष आपत्ति पेश की। परीक्षण के दौरान दोनों प्रधान पाठकों की कार्यभार ग्रहण तिथि एक ही पाई गई। बीईओ ने सूची बनाते समय जन्मतिथि पर ध्यान नहीं दिया। इस चूक के चलते कुंज दीवान, वरिष्ठ होते हुए भी काउसिंलिंग में उपस्थित हुई। माध्यमिक शाला सांकरा, विकासखण्ड छुरा में 05 शिक्षक कार्यरत होते हुए भी सेटअप के अनुसार अतिशेष की सूची में नाम शामिल किया गया। जिला स्तरीय समिति के द्वारा परीक्षण के बाद संबंधित शाला के कनिष्ठ शिक्षक एलबी राजू लाल साहू को अतिशेष श्रेणी में गणना कर कांउसलिंग हेतु अलग से बुलाना पड़ा।

अटैचमेंट वाले कर्मचारियों को बचाने ऐसा किया खेला-

हाई स्कूल सेम्हरा व हाई स्कूल घटकर्रा में अटैच अतिथि शिक्षकों की गणना उनके मूल संस्था में न करते हुए अध्यापन हेतु संलग्न संस्था में किया जिसके कारण व्याख्याता एल.बी. एकता साहू व्याख्याता (अंग्रेजी). हाई स्कूल सांकरा, मनीषा साहू, व्याख्याता (जीव विज्ञान), हाई स्कूल घटकर्रा, गुलशन बांधे, व्याख्याता (अंग्रेजी) हायर सेकेण्डरी विद्यालय पंक्तिया को अतिशेष की सूची में शामिल कर दिया। काउंसिलिग के दौरान संबंधित शिक्षकों ने समिति के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। परीक्षण के बाद नियुक्ति आदेश निरस्त करना पड़ा।

कामर्स की हो रही पढ़ाई, बीईओ ने दे दी ऐसी जानकारी-

हायर सेकेण्डरी विद्यालय पेंड्रा में वाणिज्य संकाय संचालित है। बीईओ ने वाणिज्य संकाय संचालित ना होने की जानकारी देते हुए कामर्स के टीचर को अतिशेष की सूची में शामिल कर दिया। इसके चलते कामर्स की टीचर मधु वर्मा अतिशेष शिक्षक की सूची में आ गई और काउंसलिंग के लिए पत्र भी जारी कर दिया। जिला स्तरीय समिति के सामने आपत्ति दर्ज कराने और समिति द्वारा परीक्षण कराए जाने पर गड़बड़ी सामने आई।

बीईओ के खिलाफ जारी निलंबन और विभागीय जांच के आदेश में यह सब

केएल. मतावले, विकासखंड शिक्षा अधिकारी छुरा, (मूलपद-प्राचार्य) द्वारा शासन के मंशा के विरूद्ध कार्य करते हुए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में मनमाने ढंग से लीपापोती का प्रयास किया एवं अपने मंसूबों को साधने के लिए जिला स्तरीय समिति के समक्ष बार-बार गलत जानकारी प्रस्तुत की गई। इनके द्वारा शासकीय नियमों, निर्देशों की पूर्ण अवहेलना किया जाकर अपने कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही बरती गई हैं। जो कि छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-03 (सामान्य) के उपनियम (1) (एक) (दो) (तीन) सत्यनिष्ठा (Integrity) और कर्तव्य परायणता (Devotion to duty) के और शासन हितों के सर्वथा विपरीत है इसलिए के. एल. मतावले, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी छुरा (मूलपद-प्राचार्य) के विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही, निलंबन एवं विभागीय जंच हेतु प्रस्ताव प्रेषित की जाती है।

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